देवरिया : हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बड़ा महत्व है और कुछ एकादशी को तो बहुत ही खास दर्जा दिया गया है. ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाने वाला व्रत को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कहा जाता है कि एकादशी व्रत रखने से जातक को साल की सभी 24 एकादशी व्रत रखने जितना पुण्य मिलता है। एकादशी तिथि 10 जून को शुक्रवार की सुबह सात बजकर पच्चीस मिनट से शुरू हो रही है और अगले दिन 11 जून को शाम 5.45 बजे तक रहेगी।
एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है। इस दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत करने से सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त हो जाता है।
यदि आप भगवान विष्णु के साथ साथ भोलेनाथ का भी आशीर्वाद पाने के लिए निर्जला एकादशी का व्रत करने की सोच रहे हैं, तो उससे पहले आपको इस दिन कौन से कार्य करने चाहिए और कौन से कार्य नहीं करने चाहिए इसे जरूर जान लेना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार इस दिन कुछ कार्यों को नहीं करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। तो चलिए जानते हैं इस दिन क्या कर सकते हो और क्या नहीं।
निर्जला एकादशी व्रत में करें इन नियमों का पालन
- हिंदू धर्म के अनुसार निर्जला एकादशी के दिन नमक खाना वर्जित है। ऐसी मान्यता है, कि एकादशी के दौरान नमक का सेवन करने से व्रत भंग हो जाता है और व्रती को दोष लगता है।
- निर्जला एकादशी के दिन चावल का सेवन करना वर्जित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने से व्रत करने का कोई फल नहीं मिलता है। इस दिन घर के अन्य सदस्यों को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- जो लोग व्रत नहीं रख रहे हैं, वे भी इस दिन चावल, मसूर की दाल, मूली, बैंगन, सेम समेत तामसिक भोजन का सेवन न करें.
- इस दिन मांसाहार और शराब का सेवन गलती से भी न करें.
- निर्जला एकादशी के दिन सदाचार और ब्रह्मचार्य का पालन करें। विष्णु जी के मंत्र और भजन का जाप करते रहें।