देवरिया: पेट्रोल के बढ़ते दाम और उनसे होने वाले प्रदूषण दोनों ही नजरिए से ई-बाइक, ई-स्कूटर और ई-कार एक बहुत ही अच्छा विकल्प बनकर सामने आ रहे हैं। अच्छी बात यह है कि अब नामी कंपनियां भी ई-मोटर में रुचि ले रही हैं और बाजार में अपनी कंपनी की गाड़ियां लॉन्च हो रही हैं। हालांकि अभी सेफ्टी और सिक्योरिटी देखते हुए लोग थोड़ा हिचक रहे हैं लेकिन धीरे-धीरे इन पर विश्वास बढ़ेगा।
ई-बाइक की क्षमता और इस्तेमाल
ई-बाइक छोटी बैटरी वाली हमरी पुरानी साइकिलों का ही आधुनिक वर्जन है। इसे बैटरी से भी चलाया जा सकता है और पैडल के माध्यम से भी। कुछ कंपनियां ऐसी ई साइकिल भी बना रही हैं, जो पैडल मारने से चार्ज भी होती चली जाती हैं। इन्हें एक बार चार्ज करने पर ये 20 से 25 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से 30 से 35 किलो मीटर चल सकती हैं। इसे बच्चों के बीच ज्यादा पसंद किया जा रहा है। बच्चे स्कूल और ट्यूशन जाने के लिए ऐसी बाइक्स का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही बड़ी-बड़ी कंपनियों, फैक्ट्रियों और प्लांट्स में घूम-घूम कर निरीक्षण करने के काम में भी लाई जा सकती है।

ई-बाइक से ज्यादा होती है ई-स्कूटर की बैटरी पॉवर
ई-स्कूटर ज्यादा दूरी के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। इसे खरीदने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। ई-स्कूटर को सामान्य बाइक्स के जैसे ही इस्तेमाल किया जा सकता है। शुरुआती दौर में बनने वाली ई-स्कूटर लगभग 12 वोल्ट की बैटरी में 60 किमी चल जाया करती थी पर आजकल बैटरियां अपडेट होने से लगभग 80-85 से लेकर 100 किलोमीटर का माइलेज भी मिल जाता है जो लोकल काम निपटाने के लिए काफी है।

बैटरी अपग्रेड होने से बढ़ी माइलेज
पहले आने वाली ई-व्हिकल्स में लेड बैटरी का उपयोग होता था जो अपेक्षाकृत कम माइलेज देती थी लेकिन अब आ रही बाइक्स में लीथियम बैटरी का उपयोग होता है। जिसकी लाइफ भी ज्यादा होती है और माइलेज भी लेड बैटरी की अपेक्षा ज्यादा मिलता है। भारत में लीथियम बैटरी बनाने के लिए लीथियम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। जिसके लिए हमें ना चाहते हुए भी चाइना पर निर्भर होना पड़ता है जिसके फलस्वरूप ई-व्हिकल की कॉस्टिंग भी बढ़ जाती है।
वन टाइम इनवेस्टमेंट है ई-गाड़ियां
बैटरी से चलने वाली गाड़ियों पर एक बार खर्च करिए फिर घर पर ही चार्ज करके उयोग करते रहिए। बिजली का खर्च महंगे पेट्रोल खर्च से कम ही बैठता है और घर के बिजली बिल के साथ पे हो जाने के कारण अतिरिक्त बोझ का एहसास नहीं होता। यही ई-गाड़ियों की सबसे बड़ी खासियत है।

प्रदूषण कम करने का सबसे अच्छा विकल्प
पर्यावरण में होने वाले वायु प्रदूषण में रोजाना सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों से निकलने वाले धुएं का बहुत बड़ा हिस्सा होता है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के चलते दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन गाड़ी नंबर के चलते इसे कम करने की भी कोशिश की थी। बैटरी से चलने वाली गाड़ियों से धुआं नहीं निलकता इसलिए ये बजट फ्रेंडली होने के साथ-साथ ईको-फ्रेंडली भी होती हैं।
ई-व्हिकल के नुकसान
ई-व्हिकल वैसे तो काफी पसंद किया जा रहा है लेकिन बैटरी के चार्ज करने की समस्या लोगों को परेशान करती है खासकर उन लोगों को जिन्हे लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। उनके लिए अचानक बैटरी डाउन हो जाने पर चार्ज करने की समस्या खड़ी हो जाती है। चार्जिंग स्टेशन डेव्हलप होने के बाद ही इस समस्या का समाधान मिलेगा।

सर्विस स्टेशन की कमी
ई-व्हिकल के सर्विस स्टेशन की कमी होने के कारण भी ग्रामीण या छोटे शहरों के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। अभी कुछ शहरों में ही ई-व्हिकल के एक्सपर्ट मैकेनिक उपलब्ध हैं।
बैटरी ब्लास्ट होने की आशंका
आजकल सोशल साइट्स पर आपको ई-बाइक की बैटरी से चलने वाली गाड़ियों की बैटरी ब्लास्ट होने के वीडियो देखने को मिल रहे होंगे। जिसे देखकर लोगों के बीच डर बनते जा रहा है कि ई-बाइक्स सुरक्षित नहीं है। यह भी ई-गाड़ियों का एक नकारात्मक पक्ष बनकर सामने आ रहा है। बैटरी की गुणवत्ता बढ़ाकर इसे सुधारा भी जा सकता है।