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देवरिया के संगठनों ने अरुंधति रॉय और शेख शौकत पर दर्ज मामले को वापस लेने की मांग की, राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन

देवरिया। लेखिका अरुंधति रॉय और पूर्व प्रधानाध्यापक शेख शौकत पर चल रहे यूएपीए के तहत दर्ज मामले के खिलाफ देवरिया में एक बैठक ली गई। इस बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा, सामान शिक्षा अधिकार मंच,चीनी मिल बचाओ संघर्ष समिति, किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा,क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन,आम आदमी पार्टी, कांग्रेस , राष्ट्रीय समता दल , पूर्वांचल युवा मोर्चा आदि संगठनों व पार्टीयों से जुड़े हुए विभिन्न नेताओं ने हिस्स लिया। बैठक में वापस दर्ज मामले को वापस लेने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र भी लिखा गया।

2010 के मामले में दायर हो सकते हैं आरोप पत्र
मामला 2010 का है जब नई दिल्ली में आयोजित एक सम्मेलन दिए भाषण में अरुंधति रॉय और पूर्व प्रोफेशर डॉक्टर शेख शौकत हुसैन पर भड़काऊ और भारत विरोधी भाषण देने का आरोप लगा था। लेकिन केस चलाने की अनुमति न मिल पाने के कारण यह मामला वर्षों से लंबित पड़ा था। अब गत दिनों उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा इनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत केस चलाने की अनुमति दे दी है, जिसके बाद पुलिस जल्द पटियाला हाउस कोर्ट में आरोप पत्र दायर कर सकती है।

जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा गया ज्ञापन
बैठक में जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति महोदया को ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन में मांग की गई है कि -लगभग चौदह साल पहले दिए गए भाषण के लिए यूएपीए और आईपीसी प्रावधानों के तहत अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ तत्काल प्रभाव से अभियोजन वापस लिया जाए। .यू.ए.पी.ए. तथा सभी दमनकारी कानूनों को खत्म किया जाए और राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए। बैठख में शामिल वक्ताओं ने कहा कि- “अरुंधति राय और पूर्व प्रधानाध्यापक शेख शौकत के खिलाफ यूएपीए लगाना गैरजरूरी और लोकतंत्र के खिलाफ है। लोगों को अपने विचार व्यक्त करने से नहीं रोका जा सकता। हमारा देश सभी को अपनी बात कहने का मौका देता है।”

“अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को बनाए रखना जरूरी”
बैठक में कहा गया कि- “असहमति को दबाने और भाषण को आपराधिक बनाने के लिए आतंकवाद विरोधी कानूनों का इस्तेमाल बेहद चिंताजनक है। अनुच्छेद 19 के तहत हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को बनाए रखना जरूरी है। यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि कथित भाषण के 14 साल बाद यह अनुमति दी गई है। बीच के वर्षों में भाषण को लगभग भुला दिया गया और इसने जम्मू-कश्मीर में माहौल को खराब नहीं किया। अरूंधति रॉय पर थोपा गया अभियोजन किसी काम का नहीं है, सिवाय शायद यह दिखाने के लिए है कि भाजपा/केंद्र सरकार का सख्त रुख हाल ही में चुनावी झटके के बावजूद नहीं बदलेगा। भारत के बेहतरीन दिमागों और लेखकों में से एक अरुंधति रॉय पर यूएपीए के तहत मुकदमा चलाया जाएगा, क्योंकि वह एक साहसी आवाज़ हैं जो घुटने टेकने से इनकार करती हैं। समान रूप से चिंताजनक यह है कि इसमें कश्मीर के कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत भी शामिल हैं। भारत का क्या हो रहा है? क्या इस देश को खुली हवा में जेल में बदल देना चाहिए।

केंद्र सरकार को लेकर जताई नाराजगी
बैठक में केंद्र सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा गया कि- “पिछले 10 वर्षों में केंद्र सरकार के पिछले घटनाक्रम से पता चलता है कि इन कदमों का असली इरादा असहमति की किसी भी आवाज को दबाना है। इसी प्रकार, हमने देखा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने भीमा-कोरेगांव मामले में झूठे आरोपों के साथ 16 प्रमुख बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं को जेल भेज दिया। जैसाकि कई मानवाधिकार संस्थाओं ने बताया है, स्वतंत्र विशेषज्ञों ने जांच की है जिसमें पता चला है कि लोकतंत्र के इन रक्षकों पर मुकदमा चलाने के लिए कंप्यूटर डेटा से छेड़छाड़ करने के लिए स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया था।”

“विरोध में उठ रही आवाजों को दबाना निंदनीय”
बैठक में यह भी कहा गया कि- “इसी तरह, नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के लागू होने का विरोध करने वाले छात्रों और युवाओं को यूएपीए के तहत जेल भेज दिया गया था, और उनमें से कुछ बिना किसी मुकदमे या जमानत के जेलों में सड़ रहे हैं। हमें यह भी याद है कि पिछले साल न्यूजक्लिक के संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया गया था।बिना किसी घटना के दस वर्ष से देवरिया के बीसीयों गांव को नक्सली गांव के रूप में खबरें छपती हैं।
वक्ताओं में प्रेमलता पाण्डेय, सुमन, शिवाजी राय, ब्रजेंद्र मणि त्रिपाठी, डॉ.चतुरानन ओझा, डा.व्यास मुनि तिवारी, इंद्रदेव अम्बेडकर, रामनिवास पासवान, संजय दीप कुशवाहा, हरिनारायण चौहान, एड.अरविंद गिरी,एड.विजय प्रकाश श्रीवास्तव, एड.लोकनाथ पाण्डेय, मिथिलेश प्रसाद आदि शामिल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिवाजी राय और संचालन राजेश आजाद ने किया।

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