देवरिया। 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे महत्वपूर्ण बाबा केदारनाथ के कपाट 6 महीने के लिए बंद हो चुके है। हर साल 6 महीने केदारनाथ धाम में दर्शन देने के बाद बाबा स्थान परिवर्तन कर लेते हैं। दिवाली के बाद भाईदूज का दिन कपाट बंद होने का दिन रहता है। रविवार को पूरे विधि विधान से पूजा पाठ के साथ पट बंद कर दिए गए।
भाई दूज के दिन ही क्यों बंद होता है कपाट
मान्यता यह हैं कि महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपनी पत्नी द्रौपदी के साथ हिमालय पहुंचे थे जहां उन्होंने भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया और अपने पितरों का तर्पण भी किया हैं, कहते हैं कि जिस दिन पांडवों ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया था वो भाई दूज का ही दिन था, इसलिए तब से ये रिवाज बना और इसी दिन से केदारनाथ के कपाट बंद होने लगे।
ठंड बढ़ना भी है एक कारण
केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने का एक दूसरा मुख्य कारण मौसम भी है। सर्दियों में भारी बर्फबारी और खराब मौसम के कारण भक्तों या अन्य लोगों का मंदिर तक पहुंचना बेहद मुश्किल हो जाता है साथ ही ये ऐसा समय होता है जब इस दौरान मंदिर के आसपास के क्षेत्र में भारी बर्फबारी भी होती है, ये भारी बर्फबारी मंदिर तक पहुंचने के रास्ते को बंद कर देती है। यही वजह है कि ठंड बढ़ने से पहले कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
यहां विराजते है भगवान शिव
ऐसी मान्यता रही है कि सर्दियों के दौरान भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ केदारनाथ में रहते हैं, लेकिन कपाट बंद होने के बाद अगले 6 महीने के लिए बाबा केदारनाथ उखीमठ में विराजते हैं। रविवार को पट बंद होने के बाद पंचमुखी विग्रह को ढोल नंगाड़ों के साथ पालकी में बैठाकर उखीमठ के लिए यात्रा निकाली गई। उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में 6 महीने बाबा की सेवा और पूजा, आराधना होती है।