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लगातार बढ़ रहे डिजिटल अरेस्ट के मामले, सतर्क रहना जरूरी

देवरिया। डिजिटल अरेस्ट आज के समय में  वित्तीय नुकसान के रूप में सामने आ रही है। यह एक संगठित अपराध होता है जिसमें लोगों को लालच या डर दिखाकर वर्चुअली रूप से गिरफ्तार किया जाता है। गिरफ्तार व्यक्ति के मोबाइल पर बार-बार कॉल करके उनसे पैसे मांगे जाते हैं और पैसे नहीं देने पर बदनाम करने या प्रतिष्ठा खराब करने की धमकी दी जाती है। इसमें ज्यादातर शिक्षित या उच्च वर्ग के लोगों को निशाना बनाया जाता है।

अपराधी कैसे करते हैं डिजिटल अरेस्ट?

डिजिटल अरेस्ट में क्रिमिनल पीड़ित को फोन करता है। उन्हें बताया जाता है कि उन्होंने अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या अन्य प्रतिबंधित सामान वाला पार्सल भेजा है या वे इसके प्राप्तकर्ता हैं। कुछ मामलों में पीड़ित के रिश्तेदारों या मित्रों को बताया जाता है कि पीड़ित किसी अपराध में संलिप्त पाया गया है। एक बार अपराधी, पीड़ित को अपने जाल में फंसा लेते हैं तो फिर उनसे व्हाट्स एप या किसी अन्य वीडियो कॉलिंग प्लेटफ़ॉर्म पर उनसे संपर्क करते थे।

वे अक्सर ईडी अधिकारी बनकर, पुलिस की वर्दी पहनकर या पुलिस स्टेशन जैसी लोकेशन वाले बैकग्राउंड के साथ कॉल करते हैं। इसके बाद पीड़ितों को बुरी तरह डराते हैं, जिसके बाद समझौता करने या मामले को बंद करने के लिए पैसे की मांग करते हैं।

2024 में सबसे ज्यादा मामले

देश के साइबर क्राइम रिकॉर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2024 की शुरुआती कुछ महीनों में ही भारतीयों को डिजिटल अरेस्ट की धोखाधड़ी के जरिए 12030 करोड़ रुपये की लूट का शिकार बनाया गया है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र ने मई में जनवरी-अप्रैल के आंकड़े जारी करते हुए कहा था कि भारतीयों ने डिजिटल गिरफ्तारी में 12030 करोड़ रुपये, ट्रेडिंग घोटाले में 1,42048 करोड़ रुपये, निवेश घोटाले में 22258 करोड़ रुपये और रोमांस/डेटिंग घोटाले में 1323 करोड़ रुपये गंवाए।

पीएम मोदी ने मन की बात में किया था जिक्र

डिजिटल गिरफ़्तारी के प्रति प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात कार्यक्रम में भी लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा है उन्होंने कहा कि 140 करोड़ भारतीयों को डिजिटल गिरफ़्तारी से बचने के लिए सतर्क रहना आवश्यक है किसी प्रकार की कोई फ्राड या अनुचित फोन कॉल पर डरने की अपेक्षा उसका सामना करना चाहिए जब तक कोई अपराध नहीं किया गया था, कानून के तहत किसी को दण्डित नहीं किया जा सकता है अपराध में प्रक्रिया का पालन किया जाता है अतः यह जरुरी है कि हमें सतर्क रहते हुए डिजिटल गिरफ़्तारी से बचना चाहिए

डिजिटली अरेस्ट होने से कैसे बचें?

डिजिटल गिरफ़्तारी से बचने के लिए यह जानना बहुत जरुरी है कि किस तरह से डिजिटल गिरफ़्तारी की जाती है डिजिटल धोखाधड़ी या डिजिटल गिरफ़्तारी को पहचानने के लिए फोन कॉल पर उपयोग की गयी भाषा पर ध्यान देना जरुरी है कुछ लोग जुर्माने या फिरौती का भुगतान ऐसे खाते में मांग सकते हैं जो वास्तविक लग सकता है, लेकिन ऐसा है नहीं, ऐसे कॉल को खतरे की घंटी मानना चाहिए यह कॉल अधिकतर धमकी भरे होते हैं और यह कहा जाता है कि यदि ऐसा नहीं करोगे तो तुम्हारे साथ गलत हो जाएगा।

इसी तरह से कभी-कभी अपराधी खुद को पोते-पोतियों या घर के किसी सदस्य के रूप में प्रस्तुत करते हैं और यह बताते हैं कि वह व्यक्ति संकट में है और तत्काल पैसे की जरूरत है ऐसे में टारगेट परेशान होकर पैसे भेज देता है जबकि ऐसा कुछ नहीं होता है। डिजिटल गिरफ़्तारी की स्थिति प्रतिवर्ष बढती जा रहे हैं, ऐसे में डिजिटल साक्षरता बहुत जरुरी है प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान की तरह के कार्यक्रमों को बृहद स्तर पर संचालित किया जाना चाहिए जिससे डिजिटल क्रांति सही मायने में अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर सके।

लेखक- डॉक्टर उमेश कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय, जन संचार नवीन मीडिया विभाग

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