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गणतंत्र दिवस का आमंत्रण कार्ड है बेहद खास, हस्तशिल्प कारिगरों ने किया तैयार

देवरिया। गणतंत्र दिवस के मौके पर हर साल राष्ट्रपति भवन से देश और विदेशों में कई मेहमानों को आमंत्रण पत्र भेजे जाते हैं। इस बार भी कई मेहमान गणतंत्र दिवस परेड के साक्षी बनेंगे। लेकिन इस बार इन मेहमानों को आमंत्रित करने का तरीका बेहद खास है। क्योंकि इस बार रिपब्लिक डे परेड का आमंत्रण पत्र बेहद खास तरह से तैयार किया गया है। आमंत्रण पत्र में भारतीय हस्त कला और परंपरागत शिल्प कला की झलक देखने को मिलेगी।

कई शिल्प कलाओं से तैयार हुआ आमंत्रण पत्र

इस बार गणतंत्र दिवस का आमंत्रण पत्र बांस से बने बॉक्स में भेजा जाएगा। यह बॉक्स साउथ इंडिया की पारंपरिक कला से तैयार किया गया है। यह बॉक्स पूरी तरह से इको फ्रैंडली और रिसाइकलेबल होता है। इसके साथ ही इसमें पोचमपल्ली इकत फैब्रिक, इटिकोप्पका टॉय, गंजीफा कला, स्क्रू पाइन बुनाई और कांचीपुरम रेशम जैसे हस्त शिल्प को भी जगह दी गई है।

कैसा होगा आमंत्रण पत्र?

आमंत्रण पत्र एक बांक के बक्से के रूप में होगा। जिसमें गणतंत्र दिवस में पधारने का सामान्य जानकारियों वाला एक पत्र होगा। साथ ही पोचमपल्ली इकत बुनाई से तैयार किया गया एक पेंसिल पाउच होगा। साथ ही लकड़ी, लाख और दूसरे प्राकृतिक चीजों से तैयार ‘इटिकोप्पका गुड़िया’ भी होगी। इन सबके साथ एक फ्रिज मैग्नेट होगा जो मैसूर की पारंपरिक गंजिफा कार्ड कला को दर्शाएगा। इतना ही नहीं एक बुक मार्ग भी होगा जो केरल की मशहूर स्क्रू-बुनाई से तैयार की गई है। बॉक्स में कांचीपुरम सिल्क से तैयार किय गया एक पाउच भी होगा।

दक्षिण भारत के कारिगर कर रहे तैयार

इस आमंत्रण पत्र को NIFD यानी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन डिजाइनिंग के डिजाइनर्स ने डिजाइन किया है। इसे बनाने में साउथ इंडिया के पारंपरिक शिल्पकारों की मदद ली गई है। ये कारिगर आमंत्रण पत्र को अपने हाथों से तैयार कर रहे हैं। ये अपने आप में खास आमंत्रण पत्र ना सिर्फ मेहमानों को एक खास तरह का अनुभव देगा बल्की विदेशों में भारत की अद्भुत शिल्प कलाओं को भी ख्याति दिलाएगा।

क्या है इस खास आमंत्रण पत्र का उद्देश्य?

गणतंत्र दिवस के लिए तैयार किए गए  इस खास आमंत्रण पत्र को बनाने का उद्देश्य “एक जिला एक उत्पाद” को बढ़ावा देना और देश के जियोग्राफिकल इंडिकेशन वाले उत्पादों को देश के साथ-साथ विदेशों तक पहुंचान है। आमंत्रण पत्र के जरिए देश की अनूठी और सदियों पुरानी हस्त शिल्प कला विदेशों तक पहुंचेगी।

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