देवरिया। मंगलवार को दिल्ली सरकार का आम बजट पेश नहीं होगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बजट के पेश करने पर रोक लगा दी है। यह जानकारी आम आदमी पार्टी ने ट्वीट कर दी है। सूत्रों के अनुसार, दिल्ली सरकार की बजट प्रस्तुति को टाल दिया गया है। बजट में बुनियादी ढांचे के विकास की तुलना में विज्ञापन/प्रचार के लिए अधिक फंड का प्रस्ताव है। गृह मंत्रालय ने इस पर स्पष्टीकरण मांगा है। केजरीवाल सरकार में पहली बार मनीष सिसोदिया की जगह वित्त मंत्री कैलाश गहलोत बजट पेश करने वाले थे। बजट पेश करने की पूरी तैयारी थी।
आम आदमी पार्टी ने ट्वीट कर कहा कि दिल्ली में कल बजट पेश नहीं होगा। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि कल बजट पेश होना था और आज शाम को केंद्र सरकार ने रोक लगा दी। सीधे-सीधे गुंडागर्दी चल रही है। बता दें कि दिल्ली के वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने सोमवार को बजट सत्र के दूसरे दिन विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया था।
सीएम के बयान से संशय
दिल्ली के बजट को लेकर सीएम अरविंद केजरीवाल के एक बयान से संशय की स्थिति बन गई है। दिल्ली का बजट आमतौर पर उपराज्यपाल के माध्यम से अनुमोदन के लिए गृह मंत्रालय को भेजा जाता है, जो एक औपचारिकता है। गृह मंत्रालय ने इसकी मंजूरी देने से पहले इसके बदले कुछ स्पष्टीकरण मांगा है। पूछा गया है कि बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बजट आवंटन कम है। बजट रोका नहीं गया है। कुछ स्पष्टीकरण मांगा है। अगर दिल्ली सरकार की तरफ से इसका जवाब भेज दिया जाता है और मंगलवार सुबह तक मंजूरी मिल जाती है तो बजट पेश किया जा सकता है।
78,800 करोड़ रुपये का बजट
जानकारी के अनुसार,नए वित्त वर्ष 2023-24 के लिए दिल्ली सरकार विधानसभा में 78,800 करोड़ रुपये का बजट पेश करने की तैयारी में थी। जिसमें से 22, 000 करोड़ इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने का प्रावधान था। विज्ञापन पर 550 करोड़ खर्च करने का अनुमानित था। जो गत वर्ष के बजट में भी इतना ही प्रावधान किया गया था।
सीएम केजरीवाल का पीएम से अपील
दिल्ली विधानसभा में पेश होने वाले बजट को लेकर सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी से अपील की है कि उन्हें बजट पेश करने दिया जाए। वरना कर्मचारियों का वेतन रुक जाएगा। सीएम ने कहा कि कल सुबह यानी मंगलवार को दिल्ली सरकार अपना बजट पेश करने वाली थी। बजट पेश नहीं होने से जो वित्तीय समस्याएं आएंगी, उसका भी जिक्र मुख्यमंत्री ने किया है। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को वेतन तक देना संभव नहीं होगा। इससे दिल्ली का विकास ठप हो जाएगा।