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शिक्षा और अवसर: सिपाही से DSP बनीं बबली, लोगों से कहा- अपनी बेटियों और बहुओं को पढ़ाइए

देवरिया: अगर आपके पास मेहनत न करने के सौ बहाने हैं, तो बबली तो मिलिए। आज महिला समानता दिवस है और इस खास दिन, इससे खूबसूरत कहानी कोई और नहीं हो सकती। परिवार का साथ, समान अवसर एक औरत को कहां से कहां पहुंचा सकते हैं बबली उसका शानदार उदाहरण हैं। गया जिले की रहने वाली सिपाही और बेगूसराय में पोस्टेड बबली अब डीएसपी बन गई हैं। उन्होंने तीसरे प्रयास में ये सफलता पाई है। परिवार के सहयोग, अपनी मेहनत और लगन के बल पर 7 महीने के बच्चे की मां ने ये साबित किया कि अगर मौके और सपोर्ट मिले तो महिलाओं के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।


आर्थिक तंगी में पढ़ी, बड़ी बेटी का फर्ज निभाया
बबली बताती हैं कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पिता तुलसी प्रसाद ने अपनी आमदनी से ज्यादा पढ़ाया। 2015 में खगड़िया में उनकी पहली पोस्टिंग हुई। शुरू से वे सिविल सर्विसेस करना चाहती थीं। लेकिन पांच भाई-बहनों के परिवार में सबसे ज्यादा जरूरी उनके लिए कोई नौकरी करना था। घर की बड़ी बेटी का फर्ज निभाना था। सबसे पहले कॉन्स्टेबल की नौकरी मिली तो उन्होंने ज्वॉइन कर लिया। बबली कहती हैं कि घरवालों ने उन्हें हमेशा सिविल सर्विसेस के लिए प्रेरित किया। फैमिली ने प्रयास करने को कहा और साथ देने का वादा किया। परिवार ने शुरू से लेकर आज तक उनका साथ नहीं छोड़ा।

पति के सपोर्ट ने हिम्मत दी
बच्चे के जन्म और उसके पालन-पोषण के साथ बबली ने ये सफलता हासिल की है। अपने पति की तारीफ करते हुए वे बताती हैं ‘हसबैंड ने हमेशा सपोर्ट किया। वो कहते हैं यहां तक आई हो तो सीमित मत होना, बहुत कुछ कर सकती हो तो करो और आगे बढ़ो। उन्होंने कभी मुझे नहीं रोका। मैं बेटियों और बहुओं के गार्जियन को कहना चाहती हूं अगर वे पढ़ना चाहती हैं, तो उन्हें पढ़ाइए। लड़के और लड़कियां माता-पिता के सहयोग का सदुपयोग करें। उनको निराश न करें।


पुलिस अधीक्षक ने किया सम्मानित
बबली के चयन पर बेगूसराय जिले के पुलिस अधीक्षक योगेंद्र कुमार ने उन्हें सम्मानित करते हुए कहा कि हमारी होनहार सिपाही ने अपनी प्रतिभा को साबित किया है। ये हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे बीच की सिपाही, डीएसपी पद के लिए सेलेक्ट हुई हैं। बाकी सिपाहियों और सब इंस्पेक्टर को भी इनसे सीख लेकर आगे बढ़ने के लिए सोचना चाहिए। बबली का चयन हम सबके लिए गौरव की बात है।

महिला समानता दिवस महिलाओं के अधिकारों की बात करता है। सबसे अहम और जरूरी है शिक्षा का अधिकार। बबली को ये अधिकार और अवसर मिला तो उन्होंने साबित किया कि औरतें किसी से कम नहीं हैं। बस जरूरत है उन्हें समान मौके और हक मिलने की।

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