देवरिया । राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच की लड़ाई किसी से छिपी नहीं है। अब एक बार फिर सचिन पायलट ने अपनी पार्टी की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने 11 अप्रैल को शहीद स्मारक पर अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन करने की घोषणा कर दी है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत
सचिन पायलट ने रविवार को प्रेस कॉफ्रेंस कर आरोप लगाया कि सीएम गहलोत से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन गहलोत ने कोई एक्शन नहीं लिया। उन्होंने कहा कि वसुंधरा सरकार के समय विपक्ष में रहते हुए हमने 45 हजार करोड़ के घोटालों को लेकर आवाज उठाई थी। हमने वादा किया था कि सरकार आएगी तो इन घोटालों पर निष्पक्ष जांच होगी। अब विधानसभा चुनावों में 6-7 महीने बचे हैं, ऐसे में विरोधी भ्रम फैला सकते हैं कि कहीं कोई मिलीभगत तो नहीं है। हमें इसे गलत बताने के लिए जल्दी कार्रवाई करनी होगी।
केंद्र जांच एजेंसियों का दुरुपयोग
पायलट ने कहा कि केंद्र सरकार कांग्रेस नेतृत्व को निशाना बनाने के लिए ईडी, सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है, वहीं राजस्थान सरकार अपनी एजेंसियों का सही उपयोग भी नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि जनता और कांग्रेस नेताओं को यह नहीं सोचना चाहिए कि हमारी कथनी और करनी में अंतर है।
रह-रह कर सामने आ रही कांग्रेस की गुटबाजी
अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच टकराव कोई नया नहीं है। दोनों के बीच अहं और मबत्वाकांक्षाओं की लड़ाई में पहले भी कांग्रेस आलाकमान को परेशानी में डाला है। मामला सुलटाने के लिए कांग्रेस आलाकमान को अथक प्रयास करने पड़े, तब कहीं जाकर दोनों नेता अरोक्ष रूप से साथ-साथ आए। कांग्रेस आलाकमान ने सुलह-सफाई के जरिये यह संदेश देने की कोशिश की कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं।
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब पायलट ने पिछली भाजपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार की जांच के लिए अपनी सरकार की निष्क्रियता का मुद्दा उठाया। इस साल जनवरी में भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाया जब उन्होंने पेपर लीक की बार-बार होने वाली घटनाओं पर सरकार से सवाल किया था।
क्या गहलोत का फिर चलेगा ‘जादू’?
बता दें कि सचिन पायलट की अगुवाई में 2018 का राजस्थान विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने बहुमत से जीत लिया था। मुख्यमंत्री सचिन पायलट बनना चाहते थे और बना दिए गए अशोक गहलोत। अशोक गहलोत को राजस्थान में पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए चुनौती मिली थी। यहीं से दोनों के बीच राजनीतिक अदावत शुरू हुई जो अब तक जारी है।
गहलोत ने पायलट को साइडलाइन कर दिया
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। वहीं, पायलट ने स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर गहलोत सरकार को घेरा, तो गहलोत ने पायलट को साइडलाइन कर दिया। जुलाई 2020 में सचिन पायलट 20 विधायकों के साथ बगावत करते हुए राजस्थान से हरियाणा के मानेसर पहुंच गए थे। उस वक्त अशोक गहलोत की सरकार संकट में आ गई थी और माना जा रहा था कि मध्य प्रदेश की तरह राजस्थान भी कांग्रेस के हाथ से निकल जाएगी, लेकिन अशोक गहलोत की जादूगरी की वजह से पायलट तख्तापलट करने में नाकाम रहे। साल 2022 में जब कांग्रेस आलाकमान ने पायलट को सीएम बनाने का मन बनाया तो अशोक गहलोत ने खुलकर आलाकमान को चुनौती दे दी। जिसके कारण यह लड़ाई अब तक जारी है।
कांग्रेस ने गहलोत का किया समर्थन
सचिन पायलट के आरोपों पर कांग्रेस महासचिव और मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा है कि अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री के रूप में राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने बड़ी संख्या में योजनाओं को लागू किया है और कई नई पहल की हैं, जिन्होंने लोगों को गहराई से प्रभावित किया है। इसने देश में शासन में हमें नेतृत्व की स्थिति दी है। वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, अशोक गहलोत बहुत ही सुलझे हुए नेता हैं, इस तरह की कई बाधाएं पहले भी आ चुकी हैं और मुझे लगता है कि वे इसे सुलझा लेंगे।