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14 जुलाई को लॉन्च होगा चंद्रयान-3, उल्टी गिनती शुरू, तिरुपति मंदिर पहुंची वैज्ञानिकों की टीम

देवरिया।भारत का चंद्रयान-3 14 जुलाई को लॉन्च होने के लिए पूरी तरह से तैयार है। लॉन्चिंग से पहले इसरो वैज्ञानिकों की टीम चंद्रयान- 3 के लघु मॉडल के साथ तिरुपति मंदिर पहुंची। टीम ने वहां भगवान वेंकटेश्वर से मिशन के सफल होने के लिए प्रार्थना की। चंद्रयान-3, 14 जुलाई को भारतीय समय के अनुसार दोपहर 2.35 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। मिशन की उल्टी गिनती आज से शुरू हो गई है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने कहा कि चंद्रयान-3 भारत को चंद्रमा की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बना देगा।


पूरे देश की नजर होगी चंद्रयान-3 पर
चंद्रयान-2 की सितंबर 2019 में क्रैश लैंडिंग हुई थी। क्रैश लैंडिग की वजह सॉफ्टवेयर में कुछ गड़बड़ी बताई गई थी। चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का फॉलोअप मिशन है इसलिएइस बार पूरे देश की उम्मीदें जुड़ी हुई है। 14 जुलाई को चंद्रयान-3 दोपहर 2.35 बजे उड़ान भरेगा।इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-2 के सफलता आधारित डिजाइन की बजाय चंद्रयान-3 में ‘विफलता आधारित डिजाइन’ से बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया कि क्या विफल हो सकता है और इसकी सुरक्षा कैसे की जाए और सफल लैंडिंग सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि रोवर 26 किलो वजनी है जो 2 हफ्ते तक (चांद पर) काम करेगा। रोवर में काफी कैमरा लगे हैं।

यह होता है विफलता आधारित दृष्टिकोण
चंद्रयान को विफलता आधारित डिजाइन से तैयार किया गया है। दरअसल विफलता-आधारित दृष्टिकोण डिजाइन में मिशन में हो सकने वाली कमियों या विफलताओं का अंदाजा लगाया जाता है और पहले से ही उन संभावनाओं पर काम किया जाता है। पिछली बार हुई क्रैश लैंडिंग को ध्यान में रखते हुए इस चंद्रयान में से हर संभव खराबियों को दूर किया गया है। इस प्रकार इसरों ने इस बार चंद्रयान की सफलता के लिए पूरी तरह से आश्वस्त है।

इसरो ने पूरी की रिहर्सल
चंद्रयान की सफलता के लिए इसरो ने 11 जुलाई को चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग का रिहर्सल किया । रिहर्सल 24 घंटे चलता है। इसमें श्रीहरिकोटा के लॉन्च सेंटर से लेकर अन्य स्थानों के सभी केंद्र, टेलिमेट्री सेंटर और कम्युनिकेशन यूनिट्स की तैयारियों का जायजा लिया जाता है। रिहर्सल के दौरान सभी केंद्रों को एक्चुल लॉन्चिंग की तरह ही तैयार किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि लॉन्चिंग के दौरान सेंटर्स को उनका काम और क्रम याद रहे।

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