देवरिया। चैत्र नवरात्र यानी वासंतिक नवरात्र की शुरुआत आज यानी 22 मार्च से शूरू हो रही है। नवदुर्गा को समर्पित नवरात्र का ये पावन पर्व 30 मार्च तक रहेगा। 29 मार्च को दुर्गा अष्ठमी और 30 मार्च को राम नवमी है। नवरात्र के इन नौ दिनों में माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। देवी के 9 रूपों का बखान शास्त्रों में भी किया गया है।
मां शैलपुत्री
अपने पहले स्वरूप में मां ‘शैलपुत्री’ के नाम से जानी जाती हैं। ये नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त होते हैं। शैलपुत्री माता सती को कहा जाता है, जो माता का पहला अवतार था। सती राजा दक्ष की कन्या थीं। उन्होंने यज्ञ की आग में कूदकर खुद को भस्म कर लिया था।
मां ब्रह्मचारिणी
नवरात्र पर्व के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। इस तप के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
मां चंद्रघंटा
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्र में तीसरे दिन इनकी पूजा होती है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है जिससे इनका यह नाम पड़ा। इस देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव दूर होते हैं।
मां कुष्मांडा
नवरात्र पूजन के चौथे दिन देवी के कुष्मांडा के स्वरूप की ही उपासना की जाती है। मान्यता है कि उन्होंने अपनी हल्की हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था। इनकी आठ भुजाएं हैं। मां कूष्मांडा की पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।
मां स्कंदमाता
नवरात्र का पांचवां दिन स्कंदमाता की पूजा का दिन होता है। माना जाता है कि इनकी कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से जाना जाता है। ये बुध ग्रह के बुरे प्रभाव को कम करती हैं।
मां कात्यायनी
मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है। इनकी उपासना से भक्तों को आसानी से धन, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महर्षि कात्यायन ने पुत्री प्राप्ति की इच्छा से मां भगवती की कठिन तपस्या की। तब देवी ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया, जिससे इनका यह नाम पड़ा।
मां कालरात्रि
दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना की जाती है। कालरात्रि की पूजा करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुल जाते हैं और सभी असुरी शक्तियों का नाश होता है। देवी के नाम से ही पता चलता है कि इनका रूप भयानक है।
मां महागौरी
मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। इनकी आयु आठ साल की मानी गई है। इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद होने की वजह से इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है। इस देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
मां सिद्धिदात्री
नवरात्र पूजन के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वालों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री की कृपा से ये सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं। मां सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं।