लूडो-कैरम खेलना, छत पर सोना, संतरे की गोलियां, बहुत याद आती हैं गर्मी की छुट्टियां

बचपन के दिन भी क्या दिन थे…उड़ते फिरते तितली बन के…सुजाता फिल्म का ये गाना तो आपने सुना ही होगा। सच में बचपन तितली जैसा होता है। चंचलता से भरा हुआ। इधर-उधर बिना किसी फिक्र के फिरते रहने वाला। जब…