देवरिया। आजकल की एकाकी जीवन शैली में संयुक्त परिवार कम ही देखने को मिलते हैं। अब ज्यादातर परिवारों में खासकर बड़े शहरों में माता-पिता और एक या दो बच्चे ही होते हैं। बच्चों को अब दादा-दादी या नाना-नानी का प्यार भी कम ही देखने को मिलता है। अलग-अलग पारिवारिक माहौल में हुई बच्चों की परवरिश पर किए गए एक शोध में यह बताया गया है कि, दादा-दादी और नानी के प्यार के साथ बड़े हुए बच्चों में एक अलग तरह का विकास देखने को मिला है। शोध में यह भी बताया गया है कि ग्रैंड पैरेन्ट्स में नानी का प्यार सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, नानी का प्यार बच्चों को सबसे ज्यादा भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है।
बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण होता है नानी का प्यार
अक्सर लोग कहते हैं कि नाना-नानी के घर प्यार मिलने पर बच्चे बिगड़ जाते हैं। लेकिन शोध जर्नल साइंटिफक रिपोर्ट्स में छपी शोध इसके ठीक विपरीत बात कहता है। शोध के अनुसार नानियों के प्यार से बच्चे भावनात्मक तौर पर ज्यादा मजबूत होते हैं। उनके पास रहने से बच्चों के व्यवहार में बदलाव आता है, जो उन्हें परिपक्व बनाता है। भावनात्मक या व्यावहारिक समस्याओं से जूझ रहे बच्चों को अगर नानी का प्यार मिलता है, तो वे इन समस्याओं से आसानी से उबर पाते हैं।
नानी के प्यार का असर बच्चों पर सबसे ज्यादा
शोध जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में छपी शोध के अनुसार वैसे तो बच्चों पर दादा-दादी और नाना-नानी दोनों का प्यार और साथ बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चों के विकास में इन सभी के प्यार का अलग-अलग योगदान होता है और इसका असर भी बच्चों पर अलग-अलग पड़ता है। शोध कहता है सबसे ज्यादा प्रभाव नानी का होता है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि बच्चे जेनेटिक रूप से नानी के ज्यादा करीब होते हैं। दूसरा कारण नानी से मिलने वाला ज्यादा प्यार भी हो सकता है। शोध में यह भी कहा गया है कि नानी का प्यार पाने वाले बच्चों का अपने साथियों से संबंध भी बेहतर होता है।
ब्रिटेन में हुए इस शोध में यह भी पता चला कि परिवार पर पड़ी किसी परेशानी या आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर भी नानी की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। हालांकि, ये सारी बातें इस बात पर भी निर्भर करती हैं कि बच्चे से दादा-दादी ज्यादा बार मिलते हैं या नाना-नानी और बच्चे के साथ कौन ज्यादा समय बिताता है।
