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कोरोना ने एहसास दिलाए साथ रहने के फायदे, फिर 4 भाइयों के 6 बेटों ने बसाया संयुक्त परिवार

देवरिया। संयुक्त परिवार (joint Family)अब कम ही देखने को मिलते हैं। लेकिन साथ रहने की संतु​ष्टि संयुक्त परिवार के लोग ही जानते हैं। राजस्थान के दौसा जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर लवाण तहसील के ढिगारिया गांव के खेतों में बने एक घर को देखकर आप दंग रह जाएंगे। सिंगवाड़ा होते हुए दौसा जाने वाली सड़क पर बने इस मकान को देखकर लोग ठहर जाते हैं। यहां 4 भाइयों के 6 बेटों ने एक साथ रहने के लिए एक जैसे ही घर बनवा लिए। इनमें इन 6 भाइयों का परिवार (joint Family)रहता है। ​इस परिवार के कई लोग पीढ़ियों से पुलिस में हैं।

कोरोना में आया साथ रहने का विचार

राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल महेंद्र सिंह गुर्जर बताते हैं, कि उनके दादा के चार बेटे थे। गांवों में चारों के अलग-अलग घर थे। मेरे पिताजी रामजीलाल गुर्जर भी कांस्टेबल थे। मेरा छोटा भाई यशपाल भी कांस्टेबल है। बड़े चाचा गिर्राज प्रसाद किसान हैं और उनके दो बेटे हरिसिंह और राजेंद्र सिंह हैं। उनसे छोटे चाचा गुट्‌ठल राम के एक बेटा सुभाष और सबसे छोटे चाचा शंभुदयाल का भी एक बेटा भरत सिंह है। हम छहों भाइयों में खूब प्रेम है। लेकिन जब (joint Family)​परिवार बढ़ा और नौकरी-चाकरी में लग गए तो एक-दूसरे ​से मिलना-जुलना बंद सा हो गया। कोरोना महामारी के दौरान यह बात ज्यादा खलने लगी। इसके बाद हम सभी भाइयों ने तय किया कि कुछ भी हो जाए, रहेंगे एक साथ। पिताजी घर में सबसे बड़े थे। ऐसे में हम भाइयों ने उनके सामने यह प्रस्ताव रखा। उन्होंने सबको एक साथ बुलाया और यह बताया तो सब तैयार हो गए।

कमाई कम हो या ज्यादा सबके मकान एक जैसे

हम भाइयों ने यह भी तय किया कि चाहे कोई कम कमाए या ज्यादा, सबके मकान भी एक जैसे होने चाहिए। इस पर हमने राजधानी जयपुर से एक आर्किटेक्ट को बुलाया। साल 2021 में उसने काम शुरू कर दिया। दो साल में सबके मकान बन गए। 19 फरवरी 2024 को हमने इस मकान का गृह प्रवेश किया। अब इसमें रहते हुए एक साल हो गए। भाइयों में ही नहीं, उनके परिवारों में भी प्यार बढ़ गया है।

खेत में बने मकानों की खासियत

सभी छहों भाइयों के लिए दो-दो के जोड़े में मकान बनाए गए जो अंदर से आपस में कनेक्ट हैं। सभी 2 बीएचके, साइज, डिजाइन, रंग और इंटीरियर सब एक जैसी। सभी छहों मकान की छत एक ही है। इन सभी मकानों के नीचे कॉमन बेसमेंट है। आगे कॉमन चबूतरा और सामने तथा पीछे कॉमन जमीन खाली छोड़ी गई है। एंट्रेंस भी कॉमन ही है। घर पर रहते हैं तो अब हर हाल में सुबह शाम आपस में एक दूसरे से मिलना होता ही है। रिश्तेदार भी खुश हैं। उन्हें अलग-अलग नहीं जाना पड़ता। इन छह मकानों में छोटे-बड़े करीब 40 सदस्य रहते हैं। तीज-त्योहार पर एक जगह खाना बनता है, एक साथ मनाते हैं। छुट्टी के दिन भाई एक साथ बैठते हैं। यहां तक कि सामाजिक आयोजनों में भी सब एक साथ आते-जाते हैं।

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