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कहां चले गए देवरिया के इन खंडहरों के लोग

देवरिया की बड़ी आबादी पलायन को मजबूर है. पहले पढ़ाई के लिए फिर कमाई के लिए.

देवरिया: कोई देवरिया को दिल्ली बनाना चाहता है तो कोई देहरादून, लेकिन देवरिया को कोई देवरिया नहीं रहने देना चाहता. दरअसल हर कोई देवरिया में बदलाव चाहता है, विकास के तमाम दावों के बीच जिले के हालात जस के तस हैं.

जिले के गांव हों या कस्बे, यहां विकास सिर्फ कहने की ही बात है. गांव में खेती तो हो रही है लेकिन रोजगार नहीं है. नतीजतन गांव में युवाओं का रुकना संभव नहीं. भटनी, भाटपार, रामपुर, सलेमपुर या बरहज बाजार, रोजगार यहां भी नहीं हैं. मूलभूत सुविधाओं तक के लिए देवरिया जाना होता है.

पलायन जारी है, पहले पढ़ाई के लिए, फिर कमाई के लिए, जिसने एक बार देवरिया छोड़ा फिर लौटता है मेहमानों की तरह. हालात इतने गंभीर हैं कि घर तो हैं, लेकिन उनमें कोई रहने वाला नहीं है. वो मकान जो घर थे अब खंडहर हो गए हैं.

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